‘अगर चैन से जीना चाहते हो तो कांग्रेस की चापलुसी करो, नहीं तो बर्बाद कर दिये जाओगे। देष पर हमारी हुकूमत है और वही होगा जो हम चाहें। अगर कांग्रेस के किसी बुरे काम का विरोध किया तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो।’ 02 सितंबर को अन्ना के प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल को आयकर का नोटिस भिजवाकर कांग्रेस ने उपरोक्त संदेष को और मजबूती से जनता के सामने रख दिया है। कांग्रेसी हुकूमत से टकराने का जो जुर्म केजरीवाल ने किया था, उसकी सजा देने के लिए सरकार तैयार होने लगी है। इसमें पहला काम हुआ है- आयकर विभाग द्वारा केजरीवाल को नोटिस दिया जाना। काफी दिनों से अन्ना व उनकी टीम के पीछे कांग्रेस हाथ धोकर पड़ी हुई है। यहां तक कि कांग्रेस अन्ना को सिर से पांव तक भ्रष्ट भी बता चुकी है। अब प्रषांत भूषण को भी संसद की अवमानना की नोटिस भेजी गयी है। टीम अन्ना के कुमार विष्वास को आयकर विभाग द्वारा अरविंद केजरीवाल के साथ ही नोटिस भिजवाया जा चुका है।
ऐसा नहीं कि यह अचानक हुआ है। कांग्रेस की तबीयत जानने वाले पहले ही आषंका जाहिर करते रहे हैं कि अन्ना व उनकी टीम से कांग्रेसी हुकूमत बदला लेगी। अरविंद केजरीवाल को नोटिस भेजने से एक ही दिन पहले प्रवर्तन निदेषालय ने बाबा रामदेव पर फेमा के उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। उनके सहयोगी बालकृष्ण तो पहले ही चपेट में आ चुके हैं।
सभी को याद होगा कि चंद महीने पहले तक बाबा रामदेव सरकार की नजर में परम पूज्य, परम श्रद्धेय, देषभक्त, महान समाजसेवी और जाने इस तरह के कितने अलंकारों से युक्त थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने सरकार के विरूद्ध मुंह खोला वे भ्रष्ट, पूंजीपति और बड़े अपराधी बन गये। अभी प्रणब के कदमों के निषान भी नहीं मिटे होंगे, जब वे दिल्ली में हवाई अड्डे पर रामदेव की आगवानी करने गये थे। जब रामदेव ने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ का उद्घाटन किया था, तब तमाम कांग्रेसी दिग्गज वहां पहुंचकर उनका यषोगान कर रहे थे। उस समय तक रामदेव व बालकृष्ण पक्के समाजसेवी व देषभक्त थे। उनके सारे कार्यक्रम व गतिविधियां पाकसाफ थीं। लेकिन विदेषों से काले धन की वापसी की मांग करते ही बालकृष्ण विदेषी हो गये। रामदेव अवैध व्यापार करने वाले।
सबको पता है कि बालकृष्ण का पासपोर्ट महीने-दो महीने का बना हुआ नहीं है। जब सरकार रामदेव के अनषन को लेकर बालकृष्ण से समझौता कर रही थी, उस समय भी उनकी नागरिकता वही थी, जो अब है। जिस आईलैंड की खरीद को लेकर रामदेव पर फेमा लगाया जा रहा है, उसकी खरीद उससे काफी पहले हो चुकी थी, जब प्रणब मुखर्जी व कपिल सिब्बल रामदेव के आगे नतमस्तक थे।
अभी कांग्रेसी हुकूमत के निषाने पर दिवंगत वाई राजषेखर रेड्डी के पुत्र जगन मोहन भी हैं। उनकी भी खता यही है कि उन्होंने तानाषाही के खिलाफ कांग्रेस से बगावत कर दिया। अभी चंद दिन पहले तक वे भारत के कर्मठ व काफी संभावनाषील नेता थे। उन्हें केंद्र में मंत्री पद का प्रस्ताव दिया जा रहा था। उनके पिता व आंध्र प्रदेष के पूर्व मुख्यमंत्री राजषेखर रेड्डी को वहां के सबसे लोकप्रिय नेता, निःस्वार्थ समाजसेवी व महान देषभक्त थेे। लेकिन जैसे ही जगन मोहन ने कांग्रेस से बगावत किया वे भ्रष्टाचारी हो गये। उन्होंने अवैध तरीके से धन जमा किया और उनके पिता ने पद का दुरूपयोग कर उन्हें अवैध ठेके दिलवाये। मृत्युपर्यंत कांग्रेस के प्रति निष्ठा रखने वाले राजषेखर रेड्डी को भी नहीं बख्शा गया। यहां भी कांग्रेस से बगावत के पूर्व जगन मोहन का कारोबार पूरी तरह से वैध था।
इस मामले में आईपीएल के पूर्व कर्ताधर्ता ललित मोदी को भी याद करना लाजिमी होगा। सरकार को पहले से पता था कि आईपीएल में गोलमाल हो रहा है। अपार धन के आरोह-अवरोह में कई नियम तोड़े जा रहे हैं। परंतु, बीसीसीआई में कांग्रेस नेताओं के दबदबे की वजह से ललित मोदी सारे नियमों को ताक पर रखकर चलते रहे। कभी कोई एक बार उनसे पूछने तक नहीं गया। लेकिन जैसे ही उनका विवाद कांग्रेस के नेता शषि थरूर से हुआ, उनकी गलती सरकार को तुरंत दीख गयी। पूरे दावे के साथ कहा जा सकता है कि अगर ललित मोदी का थरूर के साथ विवाद नहीं हुआ होता तो वे आज भी आईपीएल के संचालक होते।
कांग्रेस के लिए बदला लेने का ये सब कोई नये मामले नहीं हैं। बहुत पुरानी बात नहीं है जब कांग्रेस के निषाने पर महानायक अमिताभ बच्चन भी आ गये थे। उन पर भी कई आरोप लगाये गये। यूं प्रचारित किया गया मानो देष के सबसे बड़े गुनाहगार अमिताभ बच्चन ही हैं। अगर इसमें आपातकाल को जोड़ दिया जाए तो कांग्रेसी हुकूमत द्वारा बदला लिये जाने की इतनी कार्रवाई मिलेगी जिसे गिनना भी शायद संभव न हो। आपातकाल के अलावा भी कांग्रेस द्वारा बदला लेने के अमानवीय ढंग के कई उदाहरण हैं। बिहार के लेनिन के नाम से विख्यात जगदेव प्रसाद की हत्या के पीछे कांग्रेस का हाथ था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेसियों ने बदला लेने के नाम पर हजारों निर्दोष सिक्खों की हत्या कर दी थी। इस पर राजीव गांधी ने निर्लज्जतापूर्वक कहा था कि बड़े पेड़ गिरते हैं तो कुछ छोटे पौधों को नुकसान होता ही है। बाद में इसे दंगा कह कर मामले को छोटा करने का प्रयास किया गया। लेकिन सच ये है कि यह सत्तानषीं पार्टी द्वारा एक समुदाय विषेष का कत्लेआम था, भारत के इतिहास में आज तक कभी नहीं हुआ। मत भूलिए कि अपने नाटकों के जरीये कांग्रेस की पोल खोलने वाले सफदर हाषमी को कांग्रेसियों ने दिल्ली में सरेआम पीट-पीट कर जान से मार दिया था।
बाबा रामदेव, अन्ना हजारे, जगन मोहन आदि प्रकरण बताते हैं कि कांग्रेस पहले से भी अधिक खुंखार हो चुकी है। उसके खिलाफ आवाज उठाने वाले का गला घोंट दिया जाएगा। इस कार्य में सीबीआई, प्रवर्तन निदेषालय, आयकर विभाग, उसके कृपापात्र मीडिया घराने आदि उसके हथियार हैं।
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