रविवार, 3 जून 2012

एक क्रूर हत्यारे का वध


आखिरकार, क्रूर नरपशु ब्रह्मेश्वर मुखिया अपने अंजाम तक पहुंच गया। एक जून को सुबह अज्ञात लोगों ने मानवता के उस कलंक से धरती को मुक्त करा दिया। वैसे किसी भी सभ्य समाज में सरेआम किसी की हत्या को जायज नहीं ठहराया जा सकता। परंतु, यहां भगत सिंह की वो पंक्तियां याद आती हैं, जो उन्होंने सैण्डर्स की हत्या के बाद चिपकाये गये पर्चे में लिखी थी। भगत सिंह ने मानव हत्या को सबसे बड़ा गुनाह बताते हुए लिखा था कि कभी-कभी इंसानियत की हिफाजत के लिए ऐसा करना आवश्यक हो जाता है। यहां भी कुछ ऐसी ही स्थितियां बन गयीं थी। जब न्यायपालिका न्याय देने के बजाय सबूत और गवाह की कमी की मजबूरी का इजहार करना ही अपने कत्र्तव्य का इतिश्री मान ले, वहां और क्या हो सकता है। जहां मुखिया और उसके साथियों की सत्ताधारी दल के साथ गहरा याराना हो, वहां और क्या रास्ता बचता है। ब्रह्मेश्वर मुखिया नाम के उस दुर्दांत हत्यारे पर 22 मुकदमे थे। इनमें से 16 में हमारी सक्षम न्यायपालिका ने सबूत गवाह के अभाव में उसे बरी कर दिया था। शेष में उसे जमानत मिल चुकी थी। जब उसकी हत्या हुई वह जमानत पर था। फिर भी, उसे इतना विश्वास था कि अदालत उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकती। लिहाजा, वह दूसरे नाम से संगठन बनाने में लगा हुआ था।
रणवीर सेना नामक गिरोह का गठन ब्रह्मेश्वर ने 1994 के अंतिम दिनों में की थी। उसके बाद से उसने सुनियोजित ढंग से सामूहिक नरसंहार करना शुरू कर दिया। ऐसा नहीं था कि वह आक्रोश में हत्या कर रहा था। उसने पहले अपना गिरोह कायम किया। फिर 22 बार हमला करके 300 लोगों को मौत के घाट उतारा।
मुखिया ने सबसे पहला कहर 29 अप्रैल 1995 को भोजपुर जिले के संदेश प्रखंड के खोपिरा में पहली बार बरपाया। वहां उसने पांच दलितों की हत्या की। इसके तीन महीने बाद इसी जिला के उदवंतनगर प्रखंड के सरथुआं गांव में 25 जुलाई 95 को छह लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके दस दिन बाद 5 अगस्त 95 को भोजपुर के ही बड़हरा प्रखंड के नूरपुर गांव में हमला कर छह लोगों की हत्या कर दी और गांव से 4 महिलाओं को उसके साथी उठाकर ले गये। उन सभी के साथ बलात्कार कर उनकी हत्या कर दी गयी। पुलिस रिकाॅर्ड के अनुसार उन चार महिलाओं में एक 13 साल की बच्ची भी थी, जिसके साथ खुद ब्रह्मेश्वर मुखिया ने बलात्कार किया था और फिर उसके जननांग में गोली मार कर हत्या कर दी थी।
इस रक्त पिपासु शैतान की खूनी प्यास धीरे-धीरे बढ़ती गयी। 7 फरवरी 96 को भोजपुर के ही चरपोखरी प्रखंड के चांदी गांव में हमला कर 4 लोगों की हत्या कर दी। पिफर इसका निशाना बना सहार प्रखंड। 9 मार्च को सहार प्रखंड के पतलपुरा में तीन, 22 अप्रैल को नोनउर गांव में 5 लोगों की हत्या की गयी। सहार का तो मानो मुखिया ने पूरी तरह संहार का मंसूबा बना लिया था। 5 मई को नाढ़ी गावं में तीन और 19 मई को उसके गिरोह ने उदवंत नगर के मोरथ गांव में 3 लोगों की हत्या कर दी।
11 जुलाई 1996 को इस राक्षस ने अपना और विद्रूप रूप दिखाया। अपने गिरोह के साथ सहार प्रखंड के बथानी टोला नामक बस्ती पर हमला कर 21 लोगों की हत्या कर दी। मृतकों में तीन शिशु (एक तीन माह का), छह बच्चे और ग्यारह महिलाएं थीं। इनमें गांव-गांव घुमकर चुड़ी बेचने वाले गरीब मुसलमान नइमुद्दीन के परिवार के लोग भी शामिल थे, जिनमें एक दुधमुंही बच्ची भी थी। उस बच्ची को रणवीर सेना के दरिंदों ने हवा में उछालकर तलवार से काट डाला था। नइमुद्दीन के सात वर्षीय घायल बेटे सद्दाम की मौत पीएमसीएच में हुई थी। इस कांड के सभी अभियुक्तों को पटना हाई कोर्ट ने 16 अप्रैल 12 को बरी कर दिया है। जब इसके खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात की तो उसके सहयोगी पार्टी जो देश में सांप्रदायिक दंगे कराने के लिए कुख्यात रही है, के नेताओं ने कड़ा ऐतराज जताया। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपितों को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनायी थी।
इसके बाद 25 नवंबर को 96 को सहार के पुरहारा में 4, 12 दिसंबर 96 को संदेश प्रखंड के खनेउ में पांच, 24 दिसंबर 96 को सहार के एकवारी में छह और 10 जनवरी 97 को तरारी प्रखंड के बागर गांव में तीन लोगों की हत्या की।
मुखिया और उसके गिरोह ने अब तक केवल भोजपुर में 77 लोगों की निर्मम हत्या की थी। सरकार की ओर से लापरवाही और कुछ राजनीतिक दलों के प्रोत्साहन के कारण इसका हौसला बढ़ा और वह भोजपुर के बाहर भी अपनी शक्ति आजमाइश करने लगा।
भोजपुर से बाहर इसकी शुरुआत हुई 31 जनवरी 97 को जहानाबाद के मखदूमपुर प्रखंड के माछिल गांव में 4 दलितों की हत्या के साथ। इसके बाद 26 मार्च 97 को पटना जिले के बिक्रम प्रखंड अंतर्गत हैबसपुर में 10 लोगों की हत्या की गयी। फिर तो इसका शैतानी रंग गहराते ही चला गया। 28 मार्च 97 को तब के जहानाबाद और अब के अरवल जिले के आकोपुर में तीन, भोजपुर के सहार प्रखंड के एकवारी में 10 अप्रैल 97 को नौ और भोजपुर के ही चरपोखरी प्रखंड के नगरी गांव में 11 मई को 10 लोगों की हत्या मुखिया के गिरोह ने की।
ब्रह्मेश्वर मुखिया ने मानो हत्या को अपना जीवन उद्देश्य बना लिया था। इस दरिंदे ने 2 सितंबर 97 को जहानाबाद के करपी प्रखंड के खड़ासिन गांव में आठ और 23 नवंबर 97 को इसी प्रखंड के कटेसर नाला गांव में छह लोगों की निर्मम हत्या कर दी।
वर्ष 97 की विदाई में जब पूरा विश्व नये साल 1998 के आगमन का जश्न मना रहा था, इस हत्यारे ने अपने संगठन के साथ मिलकर अरवल जिले में मातमी सन्नाटा पसरा दिया। उसने अब तक के सबसे बड़े नरसंहार को अंजाम दिया लक्ष्मणपुर-बाथे में। वहां 59 लोगों को एक रात में बेदर्दी से कत्ल कर दिया गया। कहा जाता है कि सारे कत्ल मुखिया ने अपनी आंखों के सामने करवाये थे। इसे आज तक बिहार का सबसे बड़ा नरसंहार माना जाता है। गौरतलब है कि न्यायालय ने इस मामले में मुखिया को बरी कर दिया था। इसी घटना के बाद अरवल को पुलिस जिला बनाया गया, जो अब जिले के रूप में है।
25 जुलाई 98 को जहानाबाद के करपी प्रखंड के रामपुर गांव में तीन लोगों की हत्या की। फिर बड़ा कांड किया 25 जनवरी 99 को अरवल के शंकर बिगहा गांव में। वहां इसने 23 लोगों की हत्या कर दी। 10 फरवरी 99 को जहानाबाद के नारायणपुर में 12 और 21 अप्रैल 99 को गया जिले के बेलागंज प्रखंड के सिंदानी गांव में 12 लोगों को मार दिया। 28 मार्च 2000 को भोजपुर के सोनबरसा में तीन, नोखा प्रखंड के पंचपोखरी में तीन लोगों की बलि ली। 16 जून 2000 को रणवीर सेना ने औरंगाबाद जिले के गोह प्रखंड के मियांपुर में 33 लोगों की हत्या कर दी।
इसके बाद इसका संगठन आपसी विवाद में उलझने लगा और गुटबाजी का शिकार हो गया। मुखिया फिर से अपने गुट को ताकतवर और खुंखार बनाने का प्रयास कर रहा था। परंतु उसके कई साथी उसकी वहशीपन से तंग चुके थे। वह कुछ और करता, इससे पहले ही वह रहस्यमय ढंग से 2002 में पटना के एक्जीबिशन रोड की एक इमारत से गिरफ्तार कर लिया गया। नौ साल जेल में रहने के बाद कानून ने उसे जेल से बाहर रहने की अनुमति दे दी। अब चूंकि उस पर सैकड़ों निगाहें हमेशा लगी रहती थी, लिहाजा वह नेताओं की तरह लच्छेदार बातें करने लगा। यह भी दिलचस्प है कि इतनी हत्याओं के लिए जिम्मेदार शख्स के खिलाफ अदालत को सबूत नहीं मिले।
ब्रह्मेश्वर मुखिया ने हमेशा ही अपनी विकृत मानसिकता की तुष्टि के लिए शातिर चालें चलीं। उसने दलितों और पिछड़ों के प्रति अपनी घृणा को माओवादियों के विरूद्ध लड़ाई बना दी। अगर वह सच्चे अर्थों में माओवादियों से लड़ रहा होता तो वह सिर्फ दलितों और पिछड़ों की हत्या नहीं करता। सबको पता है कि माओवादी संगठनों के ढेरों शीर्ष नेता सवर्ण हैं। मुखिया ने उनमें से किसी एक को खरोंच भी नहीं पहुंचाई।
बहरहाल, इस क्रूर हत्यारे का जो अंजाम आज से 15 साल पहले हो जाना चाहिए था, वह अब हुआ। कामना की जा सकती है कि उसके गिरोह के सदस्यों और समर्थकों को सद्बुद्धि आये और वे एक शांत, उन्नत, सौहार्द्रपूर्ण और मानवीय गरिमा से संपन्न समाज के निर्माण में लगें। इसके लिए यह भी कामना करनी होगी कि ऐसा कोई दूसरा रक्त पिपासु राक्षस समाज में पैदा हो।
सुधीर

10 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

waah beta ....
ranvir sena ne jo Naxalion ko mara uska to poora detail deya tumne ....

lekin Naxalion ne jo kisano ka narsanhar keya uske bare main tumhare babu ji lekhenge kay .

jab Lal Aatank se humain bachane main sarkar wifal rahe to humnain aapne raksha khud ki .

uss dauran jina haram kar deya tha tumhare baap Naxalion ne ... to kya karte .... koi rasta nahe bacha.

sudhar ja ... aur sikke k dono pehluon ko dekha . samaj ko gumrah maat kar nalayak. isse samaj ka aur bura he hoga

बेनामी ने कहा…

bahut achha likha hai aapne sir. Thanx. Sale ne ek masum bachi k sath balatkar kiya or usake bad guptang me goli markar hatya kar di. SAla aadmi tha ya pichas. Aise logon ko to tadapa-2 kar marana chahiye.

बेनामी ने कहा…

Bharmeshaw Singh Mukhiya ji Subhas Chandra Bose ke Dusare Awatar the.Jab Dharti pe SUDRO ka aatank charam pe tha to inhone Ranvir sena bana ke AGARI Jatiyo ki Rakha ki.Bramheshawar Mukhiya ji ne jo Rasta Dikhaya hai Uspe chalne ke liye Ek Do Nahi Lakho Lakha Taiyar hai.jab Jab Dharti Pe Rakhaso (SUDRO) ka aatank Bhada hai tab tab Bhagwan Pritawi pe awatar lete hai Manav Roop me, Bramhesawar Singh Mukhiya ji Usi Bhagwan Ke Bheje Doot the Jo SUDRO ka Sanhar karne aaye the.

बेनामी ने कहा…

BHAD me gaya tumhara bhagawan. Abhi v wakt hai sudhar jaao. Nai to jis din sudron ka bhagwan JAAG jayega PRALAY aa jayegi.
Tum long aadi kaal se SUDRON par JULM karate aa rahe ho. Ab jab apani baari aayi to naani yaad aa gayi??

बेनामी ने कहा…

sare cooment padh kar bihar ki asli mansikta ujagar ho jati hai,aise me kisi ko narpishach kehna aur aur kisi ko bhagwan bana dena asan bhi hai mushkil bhi ,bihar me ek asardan samajik sudhar andolano ki awasyakta hai Bihar me waise bhi neta to bahoot paida hue per samaj sudharak bahoot kam hue hai swami sahjanand ke raste pe chalkar hi bihar me kranti layi ja sakti hai

बेनामी ने कहा…
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Sanjay Bharti ने कहा…

mai es news ko padha sun kar bahut bura laga or acha bhi lekin hamre samaj me jat ke nam par Hum kisi ko gali de a Achi bat nahi Hai Media Ka kam hai Logo ke samne Sachai Rakhana or jo Mr Sudhir ji ne Rakha hai Mukhiya ji koi bhgwan nhi the o hamre samaj ke logo ko do bahago me batne wale ek eyese aadmi the jinhone unch nich jat ka divide son laga rakha tha hum aaj kisi ko gali de rahe hai magar A sahi nahi hai aaj mujhe koi marega to mera aane wala pidhi jo mujhse pyar karta hai jise dukh hoga or aaj uska anjam mukhiya jee bhugat rahe hai duniya ek rung manch hai hum or aap eske kala kar hai jab tak roll hai kla dikho.............

बेनामी ने कहा…

Bhai agar Mukhiya jee nar pisach the to bara me narsanhar karne bale to tumhare bhagwan honge.chutiyo ko ye batao darindgi ye nahi hoti bara ke logo ko janwaro ki tarah kata tab tum kaha the is oer to tum kuchh nahi likhe

Unknown ने कहा…

बलात्कार वाली बात झूठी है भरम मत फैलाओ माधर छोड़ सेनारी बारा सब कहे भूल जाते हो हमलोग अभी दोहरा देंगे ज्यादा टाइम नई लगेगा

बेनामी ने कहा…

Iss chutiye ne kuch bhi chhap diya aur tumne maan liya wah bhai wah