सोमवार, 3 अगस्त 2015

आदरणीय अन्ना हजारे जी को चिट्ठी


आदरनीय अन्ना हजारे जी
सादर परनाम
आपको मालूम हो कि हम कुशल हैं और आपकी कुशलता चाहते हैं। आशा करते हैं कि आप भी कुशल और स्वस्थ होंगे।

आपको मालूम हो कि हम कई दिन से आपको चिट्ठी लिखे लागी सोच रहे थे, लेकिन टाइम नहीं मिलने और कभी मूड नहीं होने के कारण नहीं लिखे। लेकिन अब लिखे बिना मन नहीं मान रहा है, इसलिए लिख रहे हैं। हमको ई भी नहीं पता है कि ई चिट्ठी आप तक पहुंचेगी कि नहीं। बाकी लिखना बहुते जरूरी बुझा रहा है, इसलिए लिख रहे हैं।

आपको मालूम कि हम आपके आंदोलन में, जब आपको जेहल में डाल दिया गया था, सड़क पर उतरे थे। नारा भी लगाये थे और गांधी मैदान के किनारे करगिल चौक के पास भाषण भी दिये थे। हमारे साथ हमारे कई दोस्त भी ओकरा में सामिल हुए थे। अपन मोबाइल से आपके आंदोलन के समर्थन में बहुत सा मैसेज भी किए थे।
आपको मालूम कि आप बोलते थे कि लोकपाल लागू हो जाने से भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल जाएगी। समुले भ्रष्टाचार नहीं खतम होगा, तइयो ढेरे खतम हो जाएगा। बाद में यूपीए ओला लोकपाल के आप सही मानके सहमति भी दे दिये। कह दिये कि मोटामोटी आपका लोकपाल भी एही था।

अन्ना हजारे साहेब। आपको मालूम हो कि इससे कोची बदलाव हुआ, ऊ हमनी के आझु तक एको पइसा समझ में नहीं आया। हमनी के तो कनहूं कोनो फरके न बुझा रहा है।

आपको मालूम कि सब जगह पहिलहीं जइसा कमीशनखोरी आऊ रिश्वतखोरी चल रहा है। ढेरे जगह तो पहिले से जादे बढ़ गया है। घूस नहीं देंगे तो हमनी के कोनो कामे नहीं होगा। जीना मोहाल हो जाएगा।

आपको मालूम कि बिना दलाल के पकड़ले आय, जाति और आवासीय सर्टिफिकेट तक नहीं बन रहा है। कर्मचारी अपन खर्चा पानी लेले बिना खेत के रसीद नहीं काटता है। एलपीसी बनावे के तो खुला रेट चल रहा है। बैंक ओलन सौ बार दउड़एला के बादो केसीसी बिना दलाल के नहीं बनाता है।

आपको मालूम कि मुखिया लोग इंदिरा आवास के भी रेट भी बढ़ा दिया है। कहता है कि पहिलका रेट में पोसाई नहीं पड़ता है। कमीशन देवे से मना किये तो ई बार हमनी के फसल छति ओला मुआवजा खाली अखबारे में मिल के रह गया। रासन किरासन भी दो-दो तीन-तीन महीना पर मिल रहा है। ओकरो में डीलर के जेतना मन करता है, ओतने देता है।

ई तो बेक्तिगत काम के बता रहे हैं। सरकारी काम में तो भ्रष्टाचार के कोनो सीमे नहीं है। पंचायत भवन में छत नहीं है। 10 फीट के खड़ौंजा आऊ पीसीसी दू फीट में बना के ठेकेदार आऊ ओभरसियर पूरा पइसा भंजा ले रहा है। मुखियाजी के चांपाकल से पानी उनका बिल भंजे के दिन तक ही गिरता है। आऊ सोलर लाइट तो लगावते-लगावते बुत जाता है। केतने पुल आऊ सड़क कागजे पर बन के खतम हो गया। हॉस्पीटल के दवाई बजार में बिका रहा है।
आपको मालूम हो कि बिना सलामी देले थाना में अभियो एफआईआर नहीं लिखाता है। पैरवी-उरवी से लिखाइयो गया तो फिर कोनो कार्रवाई नहीं होती है। पइसा देके अभियुक्त के नाम केस से हटा दिया जाता है आऊ ओइसहीं डाइरी भी लिखाता है। पंडीजी बियाह सादी में डेगेडेग ओतना पइसा नहीं मांगते हैं, जेतना कोट-कचहरी में मांगता है। एकरा बादो बात-बात पर जेहल में ढुकावे के धमकी देता है।

आपको मालूम कि अभी कहेंगे तो कहेला बड़ी बात बाकी है। इसकूल में माट साब मीड डे मील, छात्रवृत्ति आऊ पोसाक रासि के पइसा में घोलटनियां मार रहे हैं। आंगनबाड़ी के हाल भरसक तो आप भी जानते होंगे। साइकिल ओला पइसा कुछ मासटर साहेब रख ले रहे हैं आऊ लइकन फर्जी बिल देखा के बचल पइसा ले रहा है। ओहू पइसा से ढेरे लइकन साइकिल के बजाय मोबाइल खरीद ले रहा है। बड़का-बड़का घोटाला तो आप अखबार में पढ़बे करते होंगे। नया पुल उद्घाटन से पहिलहीं ढह जाता है तो मंत्री जी कहते हैं कि नदी के बदमासी है।

हम कहां सिकाइत करें, पते नहीं चल रहा है। आपका लोकपाल कहां बइठा है, कोनो ठिकने नहीं है। कुछो करके भ्रष्टाचार तनियोमानी कम करवाइये। आप ई मामला में बहुते बड़का नाम हैं। अगर एही हाल रहा तो बाद में सोचिए क्या होगा।

कोनो आदमी भविष्य में कहियो भ्रष्टाचार हटावे के नाम लेगा चाहे आंदोलन करेगा तो सब आपका परतुक देके उसका मजाक उड़ाएगा। कुछो कीजिए न अन्ना हजारे जी!

अब आऊ कोची लिखें। गलती-सलती माफ कीजिए। कम को अधिक समझिए।

बड़ों को परनाम आऊ छोटों को सुभ प्यार
                               आपका एगो परसंसक

                                    सुधीर