शनिवार, 13 अक्टूबर 2012

कहां गया अभयानंद का कैमरा



ढोंगी सरकार का पाखंडी डीजीपी। यह कहीं अगर देखना है तो आप बिहार में देख सकते हैं। 12 अक्तूबर को मधुबनी में जनता पर पुलिस ने जो अत्याचार ढाए हैं, उसे देख कोई भी थर्रा जाएगा। सारी हकीकत जान पूरे सूबे में विद्रोह की लहर दौड़ सकती है। यह तो शुक्र मनाइए बिहार के बड़े मीडिया घरानों को जो विज्ञापन के चक्कर में सिर्फ सत्ता दलाली करते हैं।
मधुबनी में एक महीने से गायब छात्र प्रषांत को खोजने के लिए अभयानंद की फौज ने कोई जहमत नहीं उठाई। उसके बाद जब छात्र की सर कटी षव मिला तो उसे परिजनों को देने से पुलिस ने इंकार कर दिया। इसके बाद जब षव के लिए परिजन षांतिपूर्ण धरना दे रहे थे, तो पुलिस ने उन पर बर्बरतापूर्वक लाठियां बरसानी षुरू कर दीं। इसके बाद हजारों लोग घरों से निकल आए और मधुबनी जिला मुख्यालय रणक्षेत्र बन गया। पुलिस ने संयम से काम लेने के बजाए यहां और जोरदार लाठीचार्ज किया और फिर गोली बरसाने लगी। इससे एक और छात्र की मौत हो गई।

अब याद कीजिए डीजीपी अभयानंद का बयान, जो उन्होंने कुख्यात ब्रह्मेष्वर मुखिया की मौत के बाद दिया था। उन्होंने कहा था कि पुलिस ने संयम से काम लिया है। यही नहीं, देष भर के पुलिस महानिदेषकों के सम्मेलन में भी उन्होंने अपनी हरकत को सही साबित करने के लिए कहा था कि पुलिस के लिए दंगे रोकने से बेहतर है वीडियोग्राफी करना। उन्होंने अपनी बात सच साबित करने के लिए रणवीर सेना के गुंडों द्वारा किये गये खुलेआम उत्पात के दिन का उदाहरण दिया।
देखना यह था कि क्या अभयानंद का रवैया सभी दंगों के लिए था या किसी खास दंगे के लिए। औरंगाबाद में धमनी के छोटू मुखिया की हत्या की सीबीआई जांच की मांग को लेकर औरंगाबाद जिला मुख्यालय पर लोग धरना दे रहे थे। ध्यान रहे छोटू मुखिया पिछड़ी जाति के थे और जांच की मांग करने वाले भी। अचानक वहां पुलिस लाठी और गोली बरसाने लगी। यहां तक कि कई पूर्व विधायकों और महिलाओं को भी जानवरों की तरह पीटा गया। पुलिस का इतने पर ही मन नहीं भरा तो गिरफ्तार किए गये लोगों की रात में हवालात में पिटाई की गई। आम दुकानदारों और स्थानीय लोागों की पिटाई की गई। उस दिन भी सवाल उठा था कि अभयानंद का कैमरा कहां गया?

औरंगाबाद में ही कुछ दिनों के बाद दाउदनगर में करमा पंचायत के मुखिया की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनकी हत्या के विरोध में जब वहां अगले दिन लोग विरोध प्रदर्षन करने लगे तो वहां पुलिस ने खूब लाठियां बरसाईं। ख्याल रहे कि ये प्रदर्षनकारी भी पिछड़ी और अनुसूचित जाति के थे। यहां भी कहीं अभयानंद का कैमरा नहीं दिखा।
कुछ दिनों पूर्व अरवल में एक अनियंत्रित ट्रक ने आठ लोगांें को रौंदकर मार डाला। वहां जब लोगों ने विरोध जताया तो पुलिस ने जमकर लाठी तोड़ी। दर्जनों घायल हुए। अभयानंद का कैमरा कहीं नहीं दिखा।
पटना में नगर निगम चुनाव के बाद एक वार्ड में हारे हुए उम्मीदवार के समर्थकों ने भिखना पहाड़ी मोड़ पर विरोध प्रदर्षन करना किया। प्रदर्षन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी षामिल थीं और छोटे बच्चे भी। पुलिस ने बिना चेतावनी दिये लाठी बरसानी षुरू कर दी। महिलाओं को सड़क पर पटक-पटक कर पीटा गया। अभयानंद का कैमरा कहीं नहीं दिखा।
नीतीष की अधिकार यात्रा में भी कई जगह लोगों ने विरोध प्रदर्षन किया। इसमें खगडि़या का विरोध अधिक चर्चित हो गया। इस लिए कि वहां पुलिस ने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए मानो पहले ही ठान लिया था। विरोध जता रहे लोगों पर खगडि़या में पुलिस ने नीतीष और अभयानंद के सामने ही जमकर लाठियां बरसाईं। वहां अभयानंद भी दिखे पर उनका कैमरा नहीं दिखा। अधिकार यात्रा में यह दमन लगातार चलता रहा, लेकिन अभयानंद का कैमरा कहीं नहीं दिखा।

ये चंद घटनाएं तो बानगी भर हैं। इनके अलावा न जाने कितनी घटनाएं अभयानंद के डीजीपी बनने के बाद घटी। लोगों ने जैसे ही विरोध प्रदर्षन किया, अभयानंद की फौज टूट पड़ी अपने हथियार लेकर। परंतु, अभयानंद का कैमरा कहीं नजर नहीं आया। ऐसे में सवाल उठता है कि ब्रह्मेष्वर मुखिया के दाह संस्कार के दिन और अन्य दिनों में क्या अंतर था। अभी तक सिर्फ एक अंतर दिखा है कि उस दिन गुंडई करने वाले अभयानंद की जाति के थे और बाकी अन्य दिनों में प्रदर्षनकारी पिछड़ी और अनुसूचित जाति के थे। उस दिन प्रदर्षनकारी नहीं, बल्कि विषुद्ध गंुडे थे और बाकी दिनों में गुंडे नहीं प्रदर्षनकारी थे। संदेष साफ है- अगर आप अभयानंद की जाति के हैं तो आपको हर तरह की गंुडई करने की छूट है, अगर आप पिछड़ी जाति या अनुसूचित जाति के हैं तो आपको षांतिपूर्वक प्रदर्षन करने का भी हक नहीं। फिलहाल आप इस स्थिति में बदलाव की बात सोच भी नहीं सकते क्योंकि नीतीष कुमार ने भी अभयानंद की इस योजना को सराहा है, जिसके तहत उनकी जाति के लोगों को पुलिस की वीडियोग्राफी के नाम पर गुंडई करने की पूरी छूट है।
हालांकि अभयानंद का पाखंड थोड़ा छिप सकता था अगर एक दो और घटनाओं में उन्होंने वीडियाग्राफी के नाम पर छूट दी होती। दुर्भाग्य से दूसरे लोगों को गुंडई तो दूर प्रदर्षन करने पर ही आफत है।
सुधीर

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

j;;s/fda;guucb ;'l;k sadug aifasfn lihsda l ishalan Sala Abhayanand jh scda sdfioh sdhf slfh sh sdoif nlohsdohf lsdj fo Sf Sala Abhyanand !