इन दिनों नरेंद्र
मोदी के प्रशंसक छाए हुए हैं। आप फेसबुक पर चले जाएं, ट्विटर पर चले जाएं या फिर
बाजार में। किसी प्रशंसक का दिल मोदी की तारीफ करते हुए थक नहीं रहा। खास बात यह
है कि ये प्रशंसक मोदी मोदी और खुद की भी असलियत बताने में दिन रात जुटे हैं।
ख्याल रहे कि यह आलेख मैं फेसबुक और ट्विटर पर मौजूद मोदी भक्तों के विचार के आधार
पर लिख रहा हूं।
मोदी अपने प्रशंसकों
की नजर में क्या हैं, जरा गौर करें। सबसे अधिक प्रशंसक मानते हैं मोदी के आगे अटल
बिहारी वाजपेयी की योग्यता कुछ नहीं थी। जो काम वाजपेयी छह साल में नहीं कर पाए,
उन्हें मोदी चुटकी बजाते ही कर देंगे। अब मोदी से अपेक्षित कामों पर नजर डालें।
सबसे अधिक प्रशंसक को
लगता है कि मोदी भारत को हिंदू राष्ट्र बना देंगे। अगर नहीं भी बना सके तो कम से
कम मुसलमानों को यहां से भगा देंगे। मोदी फिर से एक बार सरकार प्रायोजित दंगा
कराएंगे और सेना व पुलिस के सहारे सभी मुसलमानों के संहार करवा देंगे। प्रशंसकों
को यह भी लगता है कि मोदी पाकिस्तान पर हमला कर देंगे। मोदी के आगे न तो भारतीय
संविधान का कोई महत्व है और न ही अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का। मोदी मानो सर्वशक्तिमान
हैं और कथित ईश्वर ने उन्हें दुनिया को संचालित करने का जिम्मा सौंप दिया है।
मोदी भक्तों ने
देशभक्ति की नई परिभाषा भी गढ़ दी है। मोदी का समर्थन का मतलब है देशभक्त और मोदी
के विरोध का मतलब है देशद्रोही। इस देशभक्ति के दायरे में और भी शर्तें हैं। जैसे-
देश में दंगे करने के लिए तैयार रहना, विपक्षी दलों और उम्मीदवारों के लिए
अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल करना, अल्पसंख्यों में भय पैदा करने की कोशिश करना,
असमानता की नींव पर टिकी ब्राह्मणवादी व्यवस्था को सर्वोच्च बताना आदि।
अगर आप इन शर्तों पर
खरा उतरते हैं तो मोदी के प्रशंसकों की नजर में देशभक्त हैं अन्यथा देशद्रोही हैं।
मित्रों! मोदी ने अमेरिकी पीआर कंपनी को प्रतिवर्ष करीब 100 करोड़
रुपए की भारी भरकम फीस देकर अपनी छवि विकास पसंद नेता की बनाई। उन्होंने खुद को
ऐसा दिखाने का प्रयास किया कि गुजरात विकास के मामले में पूरे विश्व का रोलमॉडल
है। गुजरात को ऐसा दिखाने की कोशिश की कि वहां न तो कोई बेरोजगार है और न ही गरीब।
कुपोषण और किसी तरह का अपराध तो वहां है ही नहीं। यह और बात है कि विभिन्न संसदीय
समितियां और यूनिसेफ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन मोदी के दावों की पोल खोलते रहे और
बताया कि गुजरात में हद दर्जे की गरीबी तो है ही, कुपोषण के मामले में भी गुजरात
अव्वल है। तब मोदी ने तमाम खामियों के लिए सार्वजनिक रूप से गुजरात में रह रहे
दूसरे राज्यों के लोगों को जिम्मेदार ठहरा दिया। शुक्र है कि बाल ठाकरे एंड खानदान
की तरह दूसरे राज्य के लोगों के साथ पेश नहीं आए, सिर्फ जिम्मेदार ठहराकर ही रुक
गए।
तो फिर बात करें कि
मोदी ने जो अपनी छवि पीआर कंपनी से तैयार करवाई, क्या वाकई मोदी वही हैं। कोई विजन
वाला नेता, जो देश को विकसित बनाने के लिए जी जान से जुटा हुआ है। जब मोदी अपने
प्रशंसकों को यह विश्वास नहीं दिला सके तो भला कोई और कैसे मान ले। मोदी के तमाम
प्रशंसकों के विचारों का अध्ययन कीजिए। शायद ही किसी प्रशंसक ने गुजरात के विकास
के लिए उनकी तारीफ की हो। किसी ने उनकी उद्योग-व्यापार नीति या विकास के कथित विजन
की प्रशंसा की हो। मोदी के प्रशंसक उनकी दूसरी खासियतों के लिए तारीफ करते हैं,
जिन्हें ऊपर बताया दिया गया है। हालांकि व्यक्तिगत रूप से मैं मानता हूं कि मोदी
ने गुजरात में अल्पसंख्यकों की भले ही रक्षा नहीं की हो या गरीबों के लिए कोई खास
काम नहीं किया हो, लेकिन पूंजीपतियों के हक में कई कदम उठाए। इसीलिए बिना शक मोदी
पूंजीपतियों के सबसे पसंदीदा नेता हैं। यह भी ख्याल रखना चाहिए कि विकासित राज्यों
के सूचकांक में गुजरात दूसरी श्रेणी की कतार में है।
यही मूल चीज है जिसे
जानना है कि मोदी के प्रशंसक भी उन्हें विकसित विचार या विजन का नेता नहीं मानते।
यानी मोदी अगर लोकप्रिय हैं और चुनाव में जो भी सफलता हासिल करेंगे, उसका आधार
उनकी अल्पसंख्यक विरोधी कट्टरवादी नेता की छवि होगी।
अब उनके प्रशंसकों
की योग्यता जानिए। पहली योग्यता तो यह है कि विरोधियों के लिए गालियां और अपशब्दों
का खूब प्रयोग करना आना चाहिए। दूसरी योग्यता है कि अफवाह फैलाने में माहिर होना
चाहिए। यानी कि मोदी की प्रशंसा में और विरोधी पार्टियों के खिलाफ आधारहीन बातें
अधिक से अधिक फैलाने का अच्छा अभ्यास होना चाहिए। फेसबुक के पुराने मोदी भक्त नए
मोदी भक्तों के इसका लगातकर प्रशिक्षण देते रहते हैं। कोई भी आधारहीन इमोशनल बात
लिखकर अंत में लिखेंगे कि अगर आप देशभक्त हैं तो अधिक से अधिक शेयर कीजिए। यानी
देशभक्त होने की एक शर्त्त यह ही है कि आप मोदी भक्तों के कितने कमेंट और कंटेंट
शेयर करते हैं।
तो अपने भक्तों की
नजर में मोदी कैसे हैं, जानने के लिए फेसबुक और ट्विटर पर उनके कमेंट देखते रहें।
सुधीर
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